दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या और यातायात की समस्याओं को देखते हुए, रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) एक क्रांतिकारी परियोजना है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली को उसके पड़ोसी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से जोड़ने के लिए तैयार किया गया है।
लेकिन इस महत्वाकांक्षी परियोजना को समय पर पूरा करने में कई अड़चनें आईं, जिनमें सबसे प्रमुख कारण दिल्ली सरकार द्वारा समय पर फंड जारी न करना रहा। सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा, जिससे यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।
अब, आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के बाद, उम्मीद जताई जा रही है कि RRTS परियोजना की गति तेज होगी। आइए, इस लेख में विस्तार से समझते हैं कि कैसे पिछली सरकार की देरी ने इस परियोजना को प्रभावित किया और आगे क्या उम्मीदें हैं।
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RRTS का वर्तमान स्टेटस
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कुल लंबाई | 82.15 किमी (दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर) |
स्टेशन | 24 (दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर) |
गति | 160 किमी/घंटा |
संचालन प्रारंभ | कुछ हिस्से चालू; पूर्ण संचालन जून 2025 तक |
निर्माणाधीन कॉरिडोर | दिल्ली-अलवर, दिल्ली-पानीपत |
अनुमानित लागत | ₹30,274 करोड़ |
RRTS का उद्देश्य
- दिल्ली और एनसीआर के बीच यात्रा के समय को कम करना।
- यातायात जाम और वायु प्रदूषण को कम करना।
- क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
RRTS का महत्व
- यह परियोजना 160 किमी/घंटा की गति से चलने वाली ट्रेनों के माध्यम से दिल्ली को मेरठ, अलवर और पानीपत जैसे शहरों से जोड़ेगी।
- यात्रा का समय घटाकर 60 मिनट तक किया जाएगा।
दिल्ली सरकार की देरी और RRTS परियोजना
फंडिंग में देरी
- सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और ₹415 करोड़ तुरंत जारी करने का आदेश दिया।
- अदालत ने यह भी कहा कि अगर फंड जारी नहीं किए गए तो विज्ञापन बजट को इस प्रोजेक्ट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
मुख्य विवाद
- वित्तीय सहयोग का अभाव:
- दिल्ली सरकार ने शुरू में पानीपत और अलवर कॉरिडोर के लिए वित्तीय मदद देने से इनकार कर दिया था।
- इसके चलते केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ समन्वय में बाधा आई।
- विज्ञापन बजट बनाम राष्ट्रीय परियोजना:
- सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पिछले तीन वर्षों में दिल्ली सरकार ने ₹1,100 करोड़ विज्ञापनों पर खर्च किए, जबकि RRTS जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर ध्यान नहीं दिया गया।
- सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप:
- कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
AAP सरकार की भूमिका
- मुख्यमंत्री अतीशी ने जनवरी 2025 में कहा कि दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी है।
- उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली मेट्रो विस्तार और RRTS दोनों पर काम तेजी से चल रहा है।
भविष्य की योजनाएं
- नए बजट हेड का निर्माण:
- भविष्य में फंडिंग देरी से बचने के लिए NCRTC के लिए अलग बजट हेड बनाया गया।
- राजनीतिक सहयोग:
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई।
RRTS कॉरिडोर: मुख्य विशेषताएं
कॉरिडोर | लंबाई | स्थिति |
---|---|---|
दिल्ली-मेरठ | 82.15 किमी | जून 2025 तक पूर्ण संचालन |
दिल्ली-अलवर | 164 किमी | निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा |
दिल्ली-पानीपत | 103 किमी | टेंडर प्रक्रिया जारी |
निष्कर्ष
RRTS एक महत्वपूर्ण परियोजना है जो न केवल NCR क्षेत्र की कनेक्टिविटी को सुधारने में मदद करेगी बल्कि पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ भी प्रदान करेगी। हालांकि, पिछली दिल्ली सरकार द्वारा फंडिंग में देरी ने इस प्रोजेक्ट को धीमा कर दिया।
अब जब AAP सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, तो उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट तेजी से पूरा होगा। लेकिन इसे सफल बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल आवश्यक है।
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। हालांकि AAP सरकार ने RRTS परियोजना के लिए योगदान दिया है, लेकिन शुरुआती देरी ने इसकी प्रगति को प्रभावित किया। अब जब राजनीतिक माहौल अनुकूल है, तो उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होगा।