TDS on FD Interest: भारत में FD पर टैक्स, अधिकतम लिमिट और बचने के तरीके जानें

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भारत में सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक है। यह सुरक्षित रिटर्न और पूंजी की सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, FD पर अर्जित ब्याज आय कर योग्य होती है और उस पर Tax Deducted at Source (TDS) लागू होता है। इस लेख में, हम FD पर TDS, टैक्स दरें, छूट की सीमा, और इससे जुड़े नियमों को विस्तार से समझेंगे।

सरकार ने हाल ही में बजट 2025 में TDS सीमा को बढ़ाया है, जिससे निवेशकों को राहत मिली है। यह लेख आपको FD पर टैक्सेशन के सभी पहलुओं को सरल भाषा में समझाने के लिए तैयार किया गया है।

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और TDS क्या है?

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक वित्तीय साधन है जिसमें आप एक निश्चित अवधि के लिए बैंक या वित्तीय संस्था में पैसा जमा करते हैं और उस पर पूर्व-निर्धारित ब्याज दर प्राप्त करते हैं।

TDS (Tax Deducted at Source) एक ऐसा सिस्टम है जिसमें आपकी आय पर टैक्स पहले ही काट लिया जाता है, जैसे कि FD से अर्जित ब्याज पर।

FD पर TDS कैसे काम करता है?

  • जब किसी वित्तीय वर्ष में FD से अर्जित ब्याज आय सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक हो जाती है, तो बैंक TDS काटता है।
  • TDS की दर आपके पैन कार्ड की उपलब्धता और आय सीमा पर निर्भर करती है।
  • अगर पैन कार्ड उपलब्ध नहीं है, तो TDS की दर बढ़कर 20% हो जाती है।

FD पर TDS और टैक्स दरें

श्रेणीTDS दरशर्तें
सामान्य नागरिक10%अगर ब्याज ₹50,000/वर्ष से अधिक हो।
वरिष्ठ नागरिक (60+)10%अगर ब्याज ₹1,00,000/वर्ष से अधिक हो।
बिना पैन कार्ड20%सभी मामलों में लागू।

छूट की सीमा (Exemption Limit)

श्रेणीछूट सीमा (FY 2025-26)
सामान्य नागरिक₹50,000
वरिष्ठ नागरिक₹1,00,000

महत्वपूर्ण बिंदु: FD पर TDS

  1. ब्याज आय की रिपोर्टिंग: FD से अर्जित ब्याज को “अन्य स्रोतों से आय” के तहत इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
  2. पैन कार्ड का महत्व: पैन कार्ड उपलब्ध न होने पर TDS की दर 20% हो जाती है।
  3. संयुक्त खाता: संयुक्त खाते के मामले में प्राथमिक खाता धारक के नाम पर TDS काटा जाता है।
  4. TDS कटौती का समय: TDS उस समय काटा जाता है जब ब्याज खाते में क्रेडिट होता है, न कि FD मैच्योरिटी के समय।

FD टैक्सेशन को समझना

टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेशन

FD से अर्जित ब्याज आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपकी कर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है। उदाहरण:

  • अगर आपकी कुल आय ₹5 लाख तक है और आप पुरानी कर व्यवस्था चुनते हैं, तो ₹2.5 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगेगा।
  • नई कर व्यवस्था के तहत ₹3 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगेगा।

टैक्स बचाने के तरीके

  1. Form 15G/15H का उपयोग: यदि आपकी कुल आय कर योग्य सीमा से कम है तो आप यह फॉर्म भरकर TDS बचा सकते हैं।
  2. टैक्स सेविंग FD: धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती का लाभ उठाएं।
  3. FD का विभाजन: अलग-अलग खातों या बैंकों में FD रखकर ब्याज आय को छूट सीमा के भीतर रखें।

अधिकतम FD लिमिट

  • अधिकांश बैंकों में न्यूनतम FD राशि ₹1,000 से शुरू होती है।
  • अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं होती; हालांकि कुछ विशेष योजनाओं या खातों में यह सीमा हो सकती है।

FD अवधि और ब्याज दरें

  • FD की अवधि आमतौर पर 7 दिनों से लेकर 10 वर्षों तक होती है।
  • ब्याज दरें बैंक और अवधि के अनुसार भिन्न होती हैं।

FD नियम और विनियम

  1. नामांकन सुविधा: FD खाते खोलते समय नामांकन करना अनिवार्य होता है।
  2. बीमा सुरक्षा: RBI के अनुसार, ₹5 लाख तक की जमा राशि बीमित होती है।
  3. प्रीमैच्योर विदड्रॉल: समय से पहले निकासी संभव लेकिन पेनल्टी लागू होती है।

निष्कर्ष

फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश का एक सुरक्षित विकल्प है लेकिन इससे अर्जित ब्याज पूरी तरह कर योग्य होता है। TDS नियमों को समझकर और सही रणनीतियों को अपनाकर आप अपने कर बोझ को कम कर सकते हैं।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या बैंक अधिकारी से सलाह लें।

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